- विष्टि करण
- देवता : यम (मृत्यु) ।
- समवर्ती नक्षत्र : भरणी संक्षेप में अभिप्राय : |
- रोमांचक, निडर, आत्म-निर्भर, स्वतन्त्र, सहनशील |
- सभी कार्यों में श्रेष्ठ होगा।
- दूसरों के द्वारा जीता हुआ, राजाओं की सेवा करना, सहायकों द्वारा सम्मान प्राप्त करना ।
- कृपण।
- प्रत्येक व्यक्ति का विरोधी होगा, सार्वजनिक निन्दित, सामाजिक रुप से बहिष्कृत, सम्बन्धियों के साथ झगड़ा करना।
- क्रूर, उग्र।।
- पापी, पाप युक्त कार्यों का आदी, पाप युक्त कार्यों में रत होना ।
- वह चीजें खाना जो निषिद्ध है। - दूसरी स्त्रियों के पीछे जाना।
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1 Comments
Kya 43age mein vishti yog ko shanti kar sakate hai,kya asar hoga
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