श्री राम जी का जन्म आज से १ कड़ोड़ ८५ लाख ५८ हजार ११२ वर्ष  पूर्व हुआ था ।

    श्री राम जी का जन्म कुंडली
    री राम जी का जन्म कुंडली

    जन्म नक्षत्र पुनर्वसु चौथा चरण
    गुरु ४ वर्ष की दशा
    शनि १९ वर्ष की दशा
    बुध १७ वर्ष की दशा में वन गमन

    श्री कृष्ण जी की जन्म कुंडली


    कर्णाटक के इतिहास के अनुसार
    श्री  कृष्ण जी का जन्म कुंडली - कर्णाटक के इतिहास के अनुसार

    सूरदास जी के अनुसार
    श्री  कृष्ण जी का जन्म कुंडली - सूरदास जी के अनुसार

    नरेन्द्र मोदी जी की जन्म कुंडली
    नरेन्द्र मोदी जी की जन्म कुंडली

    17 सितम्बर 1950
    5:05 AM
    मेहसाना (गुजरात)
    महापुरुष योग में
    रुचकयोग बनता है ।


    राहुल गाँधी जी की कुंडली
    राहुल गाँधी जी की कुंडली

    19 जून 1970
    रविवार 11:00 AM
    नई दिल्ली

    रुचक योग –

     मंगल स्वराशी या उच्चराशिगत होकर केन्द्र में हो, या मूलत्रिकोण में हो तो रुचक योग होता है, ऐसा जातक अत्यंत साहसी शूरवीर, परिश्रमी, कीर्तिवान एवं शत्रुओं को जितने वाला होता है ।

    भद्र योग –

     बुध स्वराशी या उच्चराशिगत होकर केन्द्र में हो, या मूलत्रिकोण में हो तो भद्र योग होता है, ऐसा जातक अत्यंत साहसी शूरवीर, परिश्रमी, कीर्तिवान एवं शत्रुओं को जितने वाला होता है ।

    हंस योग –

     गुरु स्वराशी या उच्चराशिगत होकर केन्द्र में हो, या मूलत्रिकोण में हो तो गुरु योग होता है, ऐसा जातक अत्यंत साहसी शूरवीर, परिश्रमी, कीर्तिवान, गुणवान एवं शत्रुओं को जितने वाला होता है ।

    मालव्य योग  –

     शुक्र स्वराशी या उच्चराशिगत होकर केन्द्र में हो, या मूलत्रिकोण में हो तो मालव्य योग होता है, ऐसा जातक अत्यंत साहसी शूरवीर, परिश्रमी, कीर्तिवान एवं शत्रुओं को जितने वाला होता है ।

    शश योग    –

     शनि स्वराशी या उच्चराशिगत होकर केन्द्र में हो, या मूलत्रिकोण में हो तो रुचक योग होता है, ऐसा जातक अत्यंत साहसी शूरवीर, परिश्रमी, कीर्तिवान एवं शत्रुओं को जितने वाला होता है ।

    अखण्ड सम्राट योग –

    नवमेश, लाभेष, धनेष, उनमे से एक भी चन्द्रमा से केंद्र हो और लाभादिपति खास गुरु हो तो जातक को अखण्ड सम्राट योग बनता है ।

    इंद्र योग  –

    यदि चन्द्रमा से 3 में मंगल हो और मंगल से ७ वे शनि हो, और शनि  से ७ वा शुक्र से ७ वा गुरु हो तो इंद्र योग बनता है ।
    ऐसा जातक विख्यात, शीलवान, गुणवान, राजा व राजा के सामान धनी, वाचाल, धनवान, रूप, प्रताप से युक्त होता है।

    मरुधोग्य: मारुत  योग –

    यदि शुक्र से त्रिकोण में गुरु ५,९ गुरु से ५ चन्द्रमा केंद्र में सूर्य हो तो मारुत योग बनता है ।
    ऐसा जातक वाचाल, विशाष, मोटा, शास्त्र का ज्ञान, धन से संपन्न, क्रय-विक्रय, में विपूर्ण, राजा व राजा के सामान धनवान होता है ।

    बहु धन योग –

    ५ वे भाव में २,७ की राशि शुक्र और उसे शुक्र देखता हो और लाभ भाव में शनि हो तो बहुधन योग वनता है ।