उच्चय ग्रह का फल
    यदि उच्च स्थान में बैठे हुये ग्रह हो तो उनकी दशा में मनुष्यों का यश लता की तरह बहुत दूर तक फैलता है, नूतन वस्त्र और आभूषणों का सुख मिलता है। सुन्दर हाथी, घोड़े रथ और गाय बैल इत्यादि चतुष्पदों का आगम तथा उनके द्वारा अनेक सुख मिलता हैं। शत्रुगण पराजित हो वशीभूत होकर दुर्बल अवस्था को प्राप्त हो जाते है।

    अपने घर का फल
    जिस मनुष्य को अपने घर में बैठे हुए ग्रह की दशा आती है उस समय नूतन वस्त्र और अति रमणीय विहार करने योग्य गृह मिल जाता है, अति सुन्दर प्रौढ़ा रमणीका सुख मिलता है, सुयश दूर तक फैलता है और शत्रु वर्गो का विशेष नुकसान होता है।

    मित्र घर का फल
    अपने मित्र के घर में बैठे हुए ग्रहों की दशा में मनुष्यों को अपने स्त्री-पुत्र का सुख, मित्र परिवार का सुख अधिकतर मिलता है। राजा से वस्त्रभूषण अधिक मिलते हैं और प्रतिष्ठा की विशेष वृद्धि होती है।

    शत्रु घर का फल
    अशत्रु गृह में बैठे हुए ग्रहों की दशा जब आती है, तो मनुष्यों का चित्त डावॉडोल, शत्रुवर्गों से भय शरीर दुर्बल, धन नष्ट, आमदनी में रूकावट और प्रकृति चलायन हो जाने का भय हो जाता है।