मानव के जीवन में मृत्यु अत्यंत महत्त्व रखती है ।
    ज्योतिषशास्त्रियोने मृत्यु के बारे में अनेक स्थापनाएँ की है । अष्टमाधिपति तथा अष्टम स्थानोमें स्थित ग्रहों से मृत्यु कैसे होगी, इसे जाना जा सकता है, यथा-


    रवि—

    अग्नि से, उष्ण बुखारों से, मूत्र का बंद हो जाना आदि रोगों से पीड़ित होकर मृत्यु होती है ।


    चन्द्र—

    जल से संबंधित दुर्घटनाओं अर्थात जल संकट अथवा क्षय, खांसी, फेफड़ोंसे संबंधित बिमारियों से मृत्यु होती है ।


    मंगल—

    आग की दुर्घटनाएँ, व्रण, स्फोटक फोड़े, शास्त्रचिकित्सा, चमड़ी के रोग, वाहनों से प्राप्त होने वाली आकस्मिक दुर्घटनाएँ, जादू-टोना, पीलिया आदि से म्रत्यु प्राप्त होती है ।


    बुध—

    पक्षाघात, वात, पोलियो, नसों की कमजोरी, अंडकोश संबंधित दोष, विषैले बुखार, अपच आदि के द्वारा मृत्यु प्राप्त होती है ।


    गुरु—

    आकस्मिक ह्रदय सम्बन्धी रोग, बुखार, शारीरिक दुर्बलता आदि कारन से मृत्यु होती है ।


    शुक्र—

    यौनसे संबंधित बीमारियाँ, मूत्र से संबंधित व्याधियाँ, श्लेष्म व्याधियों से संबंधित, भूख और उदर से संबंधित रोगों से मृत्यु होती हैं ।


    शनि—

    वाट रोग, व्रण, विषैले बुखार, दीर्घकालीन बुखारों से मृत्यु होती है ।