- गर करण
- देवता : भू (पृथ्वी)
- समवर्ती नक्षत्र : ज्येष्ठ
- संक्षेप में अभिप्राय : - सुन्दर, शारीरिक दुर्बल, दुर्बल ।
- वाचाल, बहुत बोलने वाला।
- बुद्धिमान सलाहकार, मंत्रों के विज्ञान में निपुण होगा (धार्मिक ग्रंथ), कृषि में रुचि, गृहों का निर्माण करना, न्यायपूर्ण, निपुण, तेज, तीव्र ।
- शक्तिशाली, बहादुर, निडर, शत्रुहीन, प्रसिद्ध, राजाओं द्वारा प्यार किया जाना, लोगों द्वारा प्यार किया जाना, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना ।
- सम्बन्धियों को सहारा देना।
- सभी वस्तुएँ जो उन्हें पसन्द है, प्रयत्न द्वारा प्राप्त करते हैं।
- प्रवृत्ति में अस्थिर, अस्थिर ।
- युद्धरत, झगड़ालू, बुरे व्यक्ति ।
- बृहत् संहिताः गर में व्यक्ति को जमीन पर खेती, बीज रोपना और गृहों का निर्माण और उसी प्रकार की वस्तुएँ करनी चाहिए।
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