- शकुनि करण
- देवता : काली
- समवर्ती नक्षत्र : अश्लेषा
- संक्षेप में अभिप्राय :
- अति बुद्धिमान, ज्ञान युक्त, हमेशा कार्य में सक्रिय, ज्योतिषी, शकुन के अध्ययन में विशेषज्ञ, चिकित्सक, स्वास्थ्य सुधार सम्बन्धी चिकित्सी व्यवसाय, योग का अभ्यास करना ।
- हमेशा शान्त, प्रसन्न, धैर्यवान् प्रवृत्ति, विस्तृत चित्त, अच्छे चरित्र का।
- किसी न किसी कार्य में हमेशा व्यस्त रहना।
- स्थिर समृद्धता का आनन्द उठाना, गायों और भूमि से सम्पन्न |
- हमेशा विचरण करना।
- दुर्भाग्य से पीड़ित ।
- एक पल के लिए दुःखी, अपनी जाति से घृणा करना, बुरे व्यक्ति ।
- बृहत् संहिताः शकुनि में व्यक्ति को शक्तिवर्धक दवाएँ, दवाएँ, जड़ी-बूटियाँ (जडो) में कार्य करना चाहिए और मंत्र फलदायक होते हैं।
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