- किंस्तुघ्न करण
- देवता : मारुत (वायु)
- समवर्ती नक्षत्र : स्वाति संक्षेप में अभिप्राय : ||
- दीर्घायु (साथ ही : अल्प आयु)।
- शक्तिशाली, बहादुर ।
- प्रसन्न, उल्लास पसन्द करना, परिहास जनक।
- सत्यवादी, निष्कपट, विस्तृत-चित्त, देने वाला।
- महत्त्वपूर्ण, दूसरों के लिए कार्य करना, अच्छा कार्य करना, सभी कलाओं में निपुण, अपने तथा दूसरों के सभी कार्यों को परिपूर्ण कर देगा।
- सुखों से वंचित, कृपण, गरीब, अकेलेपन के साथ जिएगा, कोई सम्बन्धी नहीं होंगे।
- मदोन्मत, अचेतित, अस्थिर-चित्त |
- हानिकारक कार्य करता है, लोगों का निपुण विभाजक ।
- जुए में निपुण, क्रूर, अपवित्र ।।
- बृहत् संहिताः किंस्तुघ्न में व्यक्ति को प्रशंसा योग्य कार्य, त्याग, पोषक वस्तुएँ, मंगलकारी समारोह (जैसे विवाह और वो जो ऊपर दिए हुए कार्यों को बढ़ावा देते हैं) करने चाहिए।
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