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||दोहा|| गणपति चरण सरोज गहि । चरणोदक धरि भाल ।। लिखौं विमल रामावली । सुमिरि अंजनीलाल ।। राम चरित वर्णन करौं । रामहिं हृदय मनाई ।। मदन कदन रत राखि सिर । मन कहँ ताप मिटाई ।। ||चौपाई|| राम रमापति रघुपति जै जै । महा लोकपति जगपति जै जै ।। राजित जनक दुलारी जै जै । महिनन्दिनी प्रभु प्यारी जै जै ।। रातिहुं दिवस राम धुन जाहीं । मगन रहत मन तन दुख नाहीं ।। राम सनेह जासु उर होई । महा भाग्यशाली नर सोई ।। राक्षस दल संहारी जै जै । महा पतित तनु तारी जै जै ।। राम नाम जो निशदिन गावत । मन वांछित फल निश्चय पावत ।। रामयुधसर जेहिं कर साजत । मन मनोज लखि कोटिहुं लाजत ।। राखहु लाज हमारी जै जै । महिमा अगम तुम्हारी जै जै ।। राजीव नयन मुनिन मन मोहै । मुकुट मनोहर सिर पर सोहै ।। राजित मृदुल गात शुचि आनन । मकराकृत कुण्डल दुहुँ कानन ।। रामचन्द्र सर्वोत्तम जै जै । मर्यादा पुरुषोत्तम जै जै ।। राम नाम गुण अगन अनन्ता । मनन करत शारद श्रुति सन्ता ।। राति दिवस ध्यावहु मन रामा । मन रंजन भंजन भव दामा ।। राज भवन संग में नहीं जैहें । मन के ही मन में रहि जैहें ।। रामहिं नाम अन्त सुख दैहें । मन गढ़न्त गप काम न ऐहें ।। राम कहानी रामहिं सुनिहें । महिमा राम तबै मन गुनिहें ।। रामहि महँ जो नित चित राखिहें । मधुकर सरिस मधुर रस चाखिहें ।। राग रंग कहुँ कीर्तन ठानिहें । मम्ता त्यागि एक रस जानिहें ।। .राम कृपा तिन्हीं पर होईहें । मन वांछित फल अभिमत पैहें ।। राक्षस दमन कियो जो क्षण में । महा बह्नि बनि विचर्यो वन में ।। रावणादि हति गति दै दिन्हों । महिरावणहिं सियहित वध कीन्हों ।। राम बाण सुत सुरसरिधारा । महापातकिहुँ गति दै डारा ।। राम रमित जग अमित अनन्ता । महिमा कहि न सकहिं श्रुति सन्ता ।। राम नाम जोई देत भुलाई । महा निशा सोइ लेत बुलाई ।। राम बिना उर होत अंधेरा । मन सोही दुख सहत घनेरा ।। रामहि आदि अनादि कहावत । महाव्रती शंकर गुण गावत ।। राम नाम लोहि ब्रह्म अपारा । महिकर भार शेष सिर धारा ।। राखि राम हिय शम्भु सुजाना । महा घोर विष किन्ह्यो पाना ।। रामहि महि लखि लेख महेशु । महा पूज्य करि दियो गणेशु ।। राम रमित रस घटित भक्त्ति घट । मन के भजतहिं खुलत प्रेम पट ।। राजित राम जिनहिं उर अन्तर । महावीर सम भक्त्त निरन्तर ।। रामहि लेवत एक सहारा । महासिन्धु कपि कीन्हेसि पारा ।। राम नाम रसना रस शोभा । मर्दन काम क्रोध मद लोभा ।। राम चरित भजि भयो सुज्ञाता । महादेव मुक्त्ति के दाता ।। रामहि जपत मिटत भव शूला । राममंत्र यह मंगलमूला ।। राम नाम जपि जो न सुधारा । मन पिशाच सो निपट गंवारा ।। राम की महिमा कहँ लग गाऊँ । मति मलिन मन पार न पाऊँ ।। रामावली उस लिखि चालीसा । मति अनुसार ध्यान गौरीसा ।। रामहि सुन्दर रचि रस पागा । मठ दुर्वासा निकट प्रयागा ।। रामभक्त्त यहि जो नित ध्यावहिं । मनवांछित फल निश्चय पावहिं ।। ||दोहा|| राम नाम नित भजहु मन । रातिहुँ दिन चित लाई ।। मम्ता मत्सर मलिनता । मनस्ताप मिटि जाई ।। राम का तिथि बुध रोहिणी । रामावली किया भास ।। मान सहस्त्र भजु दृग समेत । मगसर सुन्दरदास ।।
नोट :- महारुद्र यज्ञ, महामृत्युंजय, बगलामुँखीं के विशेष अनुष्ठान कर्ता है |
Sidh Mata Mandir, Sarojini Nagar Market, Sarojini Nagar, New Delhi-110023, India.
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