- बव करण
- देवता : इन्द्र समवर्ती नक्षत्र : ज्येष्ठ
- संक्षेप में अभिप्राय : - विकृत अंग, दीर्घायु ।
- - शक्तिशाली, निर्भीक, पराक्रमी, राजा के समान और सेना का अध्यक्ष, सेनानायक।
- - नम्र, धीरे, विशाल हृदय, उदार, प्रसन्न, स्थिर, धार्मिक, मांगलिक कार्यों को करना ।
- - प्रसिद्ध, सभी द्वारा सम्मान प्राप्त करना, राजाओं और धनवानों द्वारा सम्मान प्राप्त करना।
- - अमीर (साथ ही गरीब)। - जंगलों और किलों में यात्रा करना, एक स्थान पर नहीं ठहरना। - अभागा ।। - किशोर सम्बन्धी कार्यों में व्यस्त रहेगा, धार्मिक और पवित्र चरित्र का परित्याग करेगा।
- - प्रशनसूचक जन्म का । - मदोन्मत करना, उन्मादक स्त्रियों का आनन्द उठाना, अत्याधिक कामुक होगा।
- बृहत् संहिताः बव करण में व्यक्ति को मंगलकारी, अस्थायी, स्थायी कार्य करने चाहिए और वह वस्तुएँ जो व्यक्ति के स्वास्थ्य और शक्ति को बढ़ाए।
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